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गीतायन जीवन पद्धति

ॐ हम बने सहिष्णु, रहें संतुलित।

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विचार सूत्र

वर्तमान स्थिति क्या हमें सह्य है? यदि है, तो हम परम सहिष्णु हैं। सहिष्णुता दो प्रकार की होती है-1) संतुलित और 2) असंतुलित। जो असन्तुलित-सहिष्णु हैं, वे मनुष्य नहीं हैं-उनकी बात हम छोड़ दें। जो संतुलित-सहिष्णु हैं, वे आदर्श हैं। उनके सम्बन्घ में भी कुछ सोचने की आवश्यकता नहीं है। असहिष्णुता भी दो प्रकार की होती है-1) सन्तुलित और 2) असन्तुलित। संतुलित-असहिष्णु असहिष्णुता के कारण को दूर करने में लगे हुए हैं, अतः उनके लिए भी चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं हैं। चिन्तनीय हैं-असंतुलित-असहिष्णु।

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विराट रूप स्तुति

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गीता सार

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